Phoolan Devi History: फूलन देवी (Phoolan Devi) एक ऐसा नाम है, जिसे उसकी मौत के 21 साल बाद भी खौफ का दूसरा नाम कहा जाता है। अपने जीवन में हुए अत्याचारों से तंग आकर फूलन ने जुर्म की राह चुन ऐसी अपराध गाथा लिखी जिसके किस्से आज भी चंबल के इलाकों में सुनाए जाते हैं।
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phoolan devi history in hindi |
फूलन देवी की शादी कितने साल की थी?
Phoolan Devi Death: जिंदगी की गाड़ी कब किस मोड़ पर हमें कहां लाकर खड़ा कर दे ये किसी को नहीं पता ऐसा ही कुछ जिंदगी ने फूलन देवी के साथ किया। एक दस साल की लड़की, जो अपने बाप की जमीन के लिए लड़ गई . या एक बालिका वधू, जिसका पहले उसके बूढ़े 'पति' ने रेप किया और फिर डाकू श्रीराम ठाकुर के गैंग ने रेप किया था.
Phoolan Devi history in Hindi: दस्यु सुंदरी के नाम से मशहूर फूलन देवी किसी जमाने में डर का दूसरा नाम हुआ करती थीं। कई बार गैंगरेप, अत्याचार और फिर डाकू से सांसद बनी फूलन की जिंदगी का सफर किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकता है।
फूलन देवी किस जिले की थी
आपको बतादे कि फूलन देवी के जीवन की शुरुआत होती है यूपी के जालौन से. जिला जालौन कानपुर-झांसी रोड पर है. वैसे तो जिले का नाम ऋषि जलवान के नाम पर पड़ा था. लेकिन इस जिले का दुनिया से परिचय कराया 1960 के दशक में पैदा हुई एक लड़की ने. उस लड़की का नाम था फूलन देवी . 10 अगस्त 1963 को गांव घूरा का पूरवा में फूलन का जन्म हुआ था .
फूलन देवी के साथ क्या क्या हुआ था?
अपने पिता के साथ मजदूरी करने लगी फूलन को गांव के ठाकुरों ने गैंगरेप का शिकार बना लिया। बाद में उसे निर्वस्त्र गांव में घुमाया। न्याय के लिए फूलन देवी दर-दर भटकी लेकिन कुछ नहीं हुआ। बाद में फूलन देवी ने बदला लेनी की ठानी।
फूलन देवी डाकू कैसे बनी
एक बार फिर से फूलन देवी गैंगरेप का शिकार हुई। गांव पर कुछ डकैतों ने मिलकर हमला किया था। उस दौरान वह डकैत फूलन को भी अपने साथ ले गए थे। वहां आए दिन फूलन के साथ गैंगरेप होता था। लेकिन उसी बीच फूलन देवी की मुलाकात विक्रम मल्लाह से होती है। इसके बाद दोनों मिलकर अपना गैंग बनाते हैं। फूलन देवी के दस्यु यानी डकैत बनने की कहानी यहीं से शुरू होती है।
बेहमई कांड फूलन देवी, बेहमई कांड क्या था?
14 फरवरी 1981 को फूलन देवी ने बेहमई कांड को अंजाम दिया था। यह देश का सबसे चर्चित हत्याकांडों में से एक है। फूलन देवी और उसके गैंग ने मिलकर 20 लोगों को एक लाइन में खड़ाकर गोलियों से भून दिया था। लेकिन पुलिस 2 साल बाद तक भी फूलन देवी को नहीं पकड़ पाई थी। हालांकि बाद में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा फूलन देवी को आत्मसर्मपण के लिए विवश किया गया। हालांकि फूलन देवी ने अपने हथियार पुलिस के सामने डालने से मना कर दिया था। वह सिर्फ महात्मा गांधी या मां दुर्गा के सामने ही हथियार समर्पण करना चाहती थी। और वैसा ही किया था
फूलन देवी की मौत कैसे हुई थी?, फूलन देवी को किसने मारा
1996 में फूलन देवी ने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत गईं. मिर्जापुर से सांसद बनीं. चम्बल में घूमने वाली अब दिल्ली के अशोका रोड के शानदार बंगले में रहने लगी.1998 में हार गईं, पर फिर 1999 में वहीं से जीत गईं. 25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा फूलन से मिलने आया. इच्छा जाहिर की कि फूलन के संगठन 'एकलव्य सेना' से जुड़ेगा. खीर खाई. और फिर घर के गेट पर फूलन को गोली मार दी. कहा कि मैंने बेहमई हत्याकांड का बदला लिया है. 14 अगस्त 2014 को दिल्ली की एक अदालत ने शेर सिंह राणा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
फूलन देवी से हम क्या सीख सकते हैं?
अपने कुल 38 साल के जीवन में फूलन की कहानी भारतीय समाज की हर बुराई को समेटे हुए है. कहीं ऐसा तो नहीं कि ये एक बलात्कार का नतीजा था. दोस्तो आपको क्या लगता है हमे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर जरूर बताएं
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