नयी दिल्ली, (22 सितंबर) दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय की ओर से ली गई परीक्षा में दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के कार्यवाहक अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा गुरमुखी पढ़ने और लिखने में नाकाम साबित हुए हैं।
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मनजिंदर सिंह सिरसा के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी
शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (शिअदद) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना और महासचिव हरविंदर सिंह सरना ने इस विषय पर आज गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब स्थित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सिख कौम के किए इससे बड़ी शर्मिंदगी की बात क्या हो सकती है कि पिछले आठ वर्षों से डीएसजीएमसी का प्रबंध संभाल रहे मनजिंदर सिंह सिरसा को सही ढंग से गुरमुखी पढ़नी-लिखनी तक नहीं आती है। उन्होंने कहा कि इस मामले में कौम को बहुत ज्यादा शर्मसार होना पड़ रहा है, जिसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ सिरसा और बादल परिवार है, इसलिए उन्हें अब अपनी गलतियों के लिए समूची सिख कौम से माफी मांगनी चाहिए।
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मनजिंदर सिंह सिरसा के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी
दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय द्वारा अदालत में दायर की गई सिरसा के गुरमुखी टेस्ट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सरना बंधुओं ने कहा कि सही समय पर सही फैसला आया है और इस फैसले ने ऐसे व्यक्ति को डीएसजीएमसी का सदस्य बनने से रोका है जो दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी सदस्य बनने की योग्यता ही पूरी नहीं करता।
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परमजीत सरना ने कहा कि सिरसा काफी लंबे समय से झूठे भाषणों के जरिए देश-विदेश की सिख संगतों को गुमराह कर रहे हैं, जबकि उन्हें गुरुबानी और गुरु साहिबानों के इतिहास के बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं है, इसलिए सिरसा द्वारा अक्सर धार्मिक मंचों से गलत इतिहास और गुरुबानी पढ़ी जाती रही है। सरना ने बताया कि उनकी ओर से इस मामले में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से भी गुहार लगाई थी कि सिरसा से श्री गुरु ग्रंथ साहिब से 4-5 अंग पढ़वा कर देखे जाएं, लेकिन हमारी बात नहीं मानी गई। गुरमुखी टेस्ट में फेल हुए सिरसा के कारण आज कौम अपमानित हो रही है। उन्होंने कहा कि अगर उस समय जत्थेदार ने हमारी बात मान कर कार्रवाई की होती तो आज कौम को शर्मनाक दिन देखना नहीं पड़ता।
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हरविंदर सरना ने कहा कि बादल परिवार ने निजी और सियासी स्वार्थों के कारण सिरसा जैसे इंसान को दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी प्रबंध सौंप रखा है, ताकि कमेटी की गोलक को अपने स्वार्थों के लिए इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने कहा कि कमेटी की आर्थिक मंदी के लिए भी विशेष तौर पर ये लोग ही जिम्मेदार हैं। देश-विदेश में सिख कौम को इस बात के लिए शर्मसार होना पड़ रहा है कि बादल परिवार ने जिस व्यक्ति को कमेटी का अध्यक्ष बनाया उसे गुरबानीपढ़नी-लिखनी तक नहीं आती।
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