.दिल्ली बाईपास रोड जयपुर निवासी मोनिका अत्यंत साधारण परिवार से आती है ! पिता श्यामसुंदर जांगिड़ फर्नीचर के कारखानें में मज़दूरी करते हैं और मां मीना देवी सामान्य ग्रहणी है ! इन सबके बावजूद मोनिका आज महिला पर्यावरणविद के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान रखती है !
मोनिका बताती है कि दसवीं तक निजी विधालय में पढ़ने के बाद घर वालों ने सरकारी स्कूल में दाखिला करवा दिया ! आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण पढ़ाई में फिर भी दिक्कतें आने लगी ! लेकिन पढ़ाई में अव्वल होने के कारण शालिनी केयर की ओर से एक परीक्षा आयोजित हुई और उस में भाग लेकर वे अपना चयन करवाने में कामयाब रही ! जिसके बाद वहां से पारितोषिक मिलने लगा और इसी दौरान वे श्री कल्पतरू संस्थान से जुड़ी गई !
मोनिका को उनके काम करने का तरीका उन्हें दुनिया से अलग बनाता हैं। वे चाहे कितना ही छोटा घर या छत हो वह उसमें भी लोगों को गार्डनिंग के बारे में बताती हैं, उनके द्वारा प्रोत्साहन प्राप्त कर आज बहुत सारी महिलाएं अपने घरों में विभिन्न प्रकार की प्रजातियों से जुड़े छोटे-छोटे नवाचार करके फल फूल सब्जियां अपने ही घर में तैयार करने लगी हैं। मोनिका का मानना है कि प्राकृतिक माहौल में रहने से लोगों का शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार से स्वास्थ्य ठीक रहता है साथ ही वे सकारात्मक सोचने की क्षमता भी विकसित कर पाते हैं, इतना ही नहीं लोगों को अपने ही घर में जैविक सब्जियां भी प्राप्त होती है और उनका पैसा भी बचता है।
मोनिका को सराहनीय सेवाओं के लिए श्री कल्पतरू संस्थान की ओर से एक समारोह में जाने का अवसर मिला ! जिसमें उनकी भेंट उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्या से हुई ! राज्यपाल ने मोनिका के बारे में जानकर अत्यंत प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि वे आपके साथ हैं ! इसी तरह पर्यावरण के माध्यम से देश की सेवा में लगे रहो ! राज्यपाल के ये शब्द मोनिका के लिए प्रेरणा बन गए और मोनिका ने "द कल्पतरू गार्डनर" के नाम से श्री कल्पतरू संस्थान का एक अलग ही अभियान शुरू कर दिया और वो घर घर जाकर महिलाओं को प्लास्टिक के विरोध में जागरूक करने लगी ! घर की छतों पर बागवानी करने के देसी तरीके बताने लगी ! इस तरह अब तक वो सात हजार से अधिक पौधे लगाकर बड़े कर चुकी हैं !
आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण बहुत परेशानियां होती थी। लेकिन पर्यावरण में रुचि होने के कारण मोनिका ने पड़ोस के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और प्राप्त होने वाली आय से खुद की पढ़ाई भी जारी रखी अभी संस्थान की गतिविधियों मैं भी भाग लेती रही।
मोनिका बताती है कि श्री कल्पतरू संस्थान से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला है, वे कहती हैं कि पहले मुझे पेड़ पौधे लगाना अच्छा लगता था लेकिन उनकी देखभाल कैसे की जाए, किस मौसम में कौन सा प्लांट लगता है और वह हमारे किस उपयोगी है, और भी मुझे बहुत सारे मेडिसिन प्लांट के बारे में जानने को मिला जो कि हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। मोनिका अपना आयडल ट्री मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर पर्यावरणविद विष्णु लांबा को मानती हैं, वे कहती है कि मुझे सबसे ज्यादा लाम्बा सर से सीखने को मिला कि पेड़ को किस तरह से ग्रो करवाया जाए और काम किस तरह से किया जाए। विकट से विकट आर्थिक परिस्थिति में भी बिना घबराए कार्य करते रहना और अधिक साधन संसाधन प्राप्त होने पर भी अत्यंत साधारण बने रहना उनकी सबसे बड़ी विशेषता है।
मोनिका का कहना है कि हा! अगर हम सब युवा मिलकर पर्यावरण के क्षेत्र में आगे आएं और अपने आसपास हरियाली को बनाए रखें तो हम निश्चित रूप से हम कामयाब होंगे ।
श्री कल्पतरू संस्थान यह कार्य कई वर्षों से कर रहा है। हमने जमीनी स्तर के नवाचारों से पर्यावरण संरक्षण के लिए वातावरण का निर्माण करने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की है और देश के कोने कोने में आज हमारा संस्थान बिना किसी अनुदान के अनेक पर्यावरण कार्यकर्ता तैयार कर रहा है।
मोनिका को अब तक कई मंचों से सम्मानित किया जा चुका है ! वर्ष 2016 में उन्हें राजस्थान सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री राजकुमार रिणवा सर्टिफिकेट देकर सम्मानित कर चुके हैं ! वर्ष 2017 में जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा ने सम्मानित किया ! वर्ष 2018 में वन विभाग राजस्थान सरकार के प्रधान मुख्य वन संरक्षक केएल मीणा और वरिष्ठ नेता डॉ सतीश पूनिया ने सम्मानित किया ! वर्ष 2019 में उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्या उन्हें सम्मानित कर चुकी हैं ! वहीं श्री कल्पतरू संस्थान की ओर से आयोजित वृक्ष मित्र सम्मान समारोह में वे अब तक विशेष सेवाओं के लिए जिला स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हो चुकी है !
मोनिका ने अपनी भावी योजना को लेकर कहा कि कोरोना काल में बिना किसी अनुदान के संस्थान के सभी वॉलिंटियर्स लगातार ढाई माह तक 1000 लोगों को प्रतिदिन भोजन उपलब्ध करवाने में कामयाब रहे। हमने देखा कि इस वैश्विक मानवीय आपदा ने लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से तो कमजोर किया ही है साथ ही आर्थिक रूप से भी लोग टूट गए हैं, ऐसे में विभिन्न माध्यमों से हम लोगों को इको फ्रेंडली रोजगार के साधन उपलब्ध करा रहे हैं। हमारा प्रयास है कि हम हजारों बेरोजगार लोगों को पर्यावरण की दृष्टि से रोजगार देते हुए सक्षम बना सकें।
हमारा संस्थान देश के 100 गांवों को पर्यावरणीय दृष्टि से आदर्श ग्राम बनाकर 5 करोड़ वृक्ष लगाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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मोनिका इसे ईश्वर की कृपा ही मानती है कि हाल ही में हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमाचली केप भेज कर आशीर्वाद दिया, ठाकुर ने मोनिका को बेटी संबोधित करते हुए ट्वीट किया, उसके बाद लोगों ने मोनिका को जयराम ठाकुर की तीसरी बेटी के रूप में संबोधित करना शुरू कर दिया ।
मोनिका ने भी अपनी ओर से मुख्यमंत्री ठाकुर को ट्वीट कर आभार व्यक्त किया कि मैं अब तक एक मजदूर की बेटी थी आज से मुख्यमंत्री की बेटी होने का गौरव भी मुझे प्राप्त होगा।
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मां से मिली प्रेरणा
वे बताती है कि उन्होंने बचपन में मां के साथ घर के बाहर यूकेलिप्टस का पौधा लगाया था ! जो आज बहुत बड़ा पेड़ बन कर मौजूद है ! माँ से मिली बचपन की वही सीख अब संस्थान के माध्यम से फल फूल रही है और सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्यों में सहभागी होकर मानवता की सेवा का अवसर दे रही है !
इतना ही नहीं मोनिका नित्य प्रति हजारों बेजुबान पक्षियों के लिए दाने पानी की व्यवस्था भी अपने पॉकेट मनी से बचाकर करती है
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पाठकों को मैं यही सलाह देना चाहती हूं कि अपने आसपास जितना भी हो सके हरियाली रखें, अपने परंपरागत जल स्रोतों इत्यादि को प्रदूषित ना करें, अपने रोजमर्रा के कार्यों में स्थानीय स्तर की चीजों का उपयोग करें, प्लास्टिक का बहिष्कार करें, क्योंकि जलवायु परिवर्तन विश्व की सबसे बड़ी समस्या है और इससे निपटने के लिए सभी को योगदान देना होगा ।
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